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Bangladesh में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़े जाने पर विश्व हिंदू परिषद की नाराजगी, सख्त कार्रवाई की मांग

Bangladesh में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़े जाने की घटनाओं ने हिंदू समुदाय में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रवक्ता विनोद बंसल ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए अंतरिम सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में कभी माँ काली का नाम गूंजता था, लेकिन आज वही काली मंदिर तोड़े जा रहे हैं।

विश्व हिंदू परिषद की नाराजगी

विनोद बंसल ने बात करते हुए कहा, “तीन और मूर्तियां कल तोड़ी गईं। बांग्लादेश सरकार को इस पर सख्त कदम उठाना चाहिए। हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को रोका जाना चाहिए।” शनिवार सुबह बांग्लादेश पुलिस ने हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया।

गिरफ्तार आरोपी और घटना का विवरण

पुलिस अधिकारी अबुल खैर के अनुसार, गिरफ्तार व्यक्ति की उम्र लगभग 37 साल है और उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। आरोपी का नाम अज़हरूल बताया गया है। पुलिस ने कहा कि आरोपी ने शाकुई क्षेत्र में निर्माणाधीन एक मंदिर की दो मूर्तियों के शीशे तोड़े।

सरकार की प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बांग्लादेश सरकार को इस पर जानकारी दी है। विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि इस साल 8 दिसंबर तक बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ 2200 हिंसा के मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं, पाकिस्तान में अक्टूबर 2024 तक ऐसे 112 मामले दर्ज किए गए।

Bangladesh में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़े जाने पर विश्व हिंदू परिषद की नाराजगी, सख्त कार्रवाई की मांग

भारत की उम्मीदें और बांग्लादेश की स्थिति

विदेश राज्यमंत्री ने कहा कि भारत बांग्लादेश से उम्मीद करता है कि वह हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है और दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों के लिए इसे जल्द सुलझाना जरूरी है।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले

इस समय बांग्लादेश में स्थिति बेहद अस्थिर है। यह स्थिति तब शुरू हुई जब वहां के विश्वविद्यालयों के छात्रों ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ प्रदर्शन किया। यह आंदोलन जल्द ही हिंसक हो गया, जिसमें हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया और उनके मंदिरों को तोड़ा गया।

छात्रों ने देश में कोटा सिस्टम की समीक्षा की मांग की थी, जिसके चलते शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। इस दौरान लगभग 600 लोगों की जान गई और मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन किया।

ISKCON के पुजारी पर भी कार्रवाई

इस हिंसा के बीच, ढाका में ISKCON के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी हिंदू समुदाय के लिए एक और झटका साबित हुई।

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय का भविष्य

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक हमेशा से कई तरह की चुनौतियों का सामना करते रहे हैं। मंदिरों को तोड़ने, मूर्तियों को खंडित करने और हिंदू समुदाय को निशाना बनाने की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में भारत और बांग्लादेश के बीच इस मामले को लेकर संवाद बहुत जरूरी हो गया है।

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने की घटनाओं ने धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को फिर से उजागर किया है। विश्व हिंदू परिषद और भारत सरकार का कड़ा रुख इस दिशा में सकारात्मक कदम हो सकता है। अब यह देखना होगा कि बांग्लादेश सरकार इस मामले में क्या ठोस कार्रवाई करती है और कैसे हिंदू समुदाय को सुरक्षा प्रदान करती है।

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